चिकित्सा विज्ञान फलसमन्वित ऐसा शास्त्र है, जिसमें ऐसे उपायों के उपयोगों का वर्णन है जो लोकस्वास्थ्य तथा वैयक्तिक स्वास्थ्य की दृष्टि से, शरीर संबंधी सभी अवस्थाओं में, आवश्यतानुसार (1) रोगोन्मूलक तथा निवारक, (2) घटना नियंत्रक तथा सुधारक, (3) अभावपूरक, (4) विकारक तथा विकृत अंगों के निष्कासक, (5) कुरूपता तथा असमर्थता के निवारक, (6) क्षतांगों के प्रतिस्थापक एवं विकलांगों के पुनर्वासक और विभिन्न प्रकार की आंत्र तथा फुफ्फुस यक्ष्मा की चिकित्सा तथा अन्य नैदानिक कार्यों में उपयोगी।
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चिकित्सा विज्ञान फलसमन्वित ऐसा शास्त्र है, जिसमें ऐसे उपायों के उपयोगों का वर्णन है जो लोकस्वास्थ्य तथा वैयक्तिक स्वास्थ्य की दृष्टि से, शरीर संबंधी सभी अवस्थाओं में, आवश्यतानुसार (1) रोगोन्मूलक तथा निवारक, (2) घटना नियंत्रक तथा सुधारक, (3) अभावपूरक, (4) विकारक तथा विकृत अंगों के निष्कासक, (5) कुरूपता तथा असमर्थता के निवारक, (6) क्षतांगों के प्रतिस्थापक एवं विकलांगों के पुनर्वासक और विभिन्न प्रकार की आंत्र तथा फुफ्फुस यक्ष्मा की चिकित्सा तथा अन्य नैदानिक कार्यों में उपयोगी।
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चिकित्सा विज्ञान फलसमन्वित ऐसा शास्त्र है, जिसमें ऐसे उपायों के उपयोगों का वर्णन है जो लोकस्वास्थ्य तथा वैयक्तिक स्वास्थ्य की दृष्टि से, शरीर संबंधी सभी अवस्थाओं में, आवश्यतानुसार (1) रोगोन्मूलक तथा निवारक, (2) घटना नियंत्रक तथा सुधारक, (3) अभावपूरक, (4) विकारक तथा विकृत अंगों के निष्कासक, (5) कुरूपता तथा असमर्थता के निवारक, (6) क्षतांगों के प्रतिस्थापक एवं विकलांगों के पुनर्वासक और विभिन्न प्रकार की आंत्र तथा फुफ्फुस यक्ष्मा की चिकित्सा तथा अन्य नैदानिक कार्यों में उपयोगी।